🌟 परिचय: क्या भोजन भी हमारी आत्मा को प्रभावित करता है?
जो जैसा खाता है, वैसा ही सोचता है, और वैसा ही जीवन जीता है।
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🧘♂️ बाबा प्रेमानंद जी महाराज का कथन: लहसुन-प्याज तमोगुणी हैं
हमें अपने भोजन को सात्विक बनाना चाहिए
बाबा जी के अनुसार:
लहसुन-प्याज केवल शरीर को उत्तेजित करते हैं, आत्मा को नहीं।
ये पदार्थ मानसिक स्थिरता को भंग करते हैं, जिससे साधना कठिन हो जाती है।
इनका सेवन भक्ति के मार्ग में बाधा उत्पन्न करता है।
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🔮 लहसुन और प्याज के सेवन का आध्यात्मिक प्रभाव
1️⃣ तमोगुणी प्रवृत्ति को बढ़ावा
बाबा जी कहते हैं कि यह सब "अंत:करण को अशुद्ध कर देते हैं", जिससे **भजन में मन नहीं लगता।**
2️⃣ लड्डू गोपाल को नहीं चढ़ता यह भोग
3️⃣ भक्ति का मार्ग शुद्धता से शुरू होता है
बाबा प्रेमानंद जी के अनुसार:
> "भक्ति कोई तामसिक क्रिया नहीं है, यह तो सात्विक वृत्ति की मां है।"
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❓ क्या लहसुन-प्याज खाना पाप है?
बाबा प्रेमानंद जी के अनुसार:
> "पाप वो है जो आपको भगवान से दूर ले जाए।"
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🛤️ भक्तों के लिए मार्गदर्शन: कैसे करें शुरुआत?
1️⃣ धीरे-धीरे त्यागें
2️⃣ विकल्प अपनाएं
बाबा जी कहते हैं:
> "सात्विकता का स्वाद तभी आएगा जब आप त्याग से नहीं, प्रेम से खाएंगे।"
3️⃣ प्रेरणा लें संतों से
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🧘♀️ सारांश: शुद्ध भोजन, शुद्ध मन, शुद्ध भक्ति
> "जैसा खाओगे अन्न, वैसा बनेगा मन। जैसा होगा मन, वैसा होगा चिंतन। और जैसा चिंतन, वैसी होगी चेतना।"
भक्ति केवल पूजा करने का नाम नहीं है, बल्कि भगवान के लिए स्वयं को शुद्ध बनाने की प्रक्रिया है।
बाबा प्रेमानंद जी का स्पष्ट निर्देश है—
> **यदि आप सच्चे भक्त बनना चाहते हैं, तो अपने आहार में सात्विकता को अपनाएं।**
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